क्या डाॅ. बाबासाहब अम्बेडकर केवल दलिताें के मसीहा थे?
सुमेध गावंडे
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वैसे तो डाॅ. बाबासाहब अम्बेडकर को मानने वाले दुनिया मे असंख्य है, परंतू उनमे दलित व बौद्ध हि अधिकतर है। अन्य जाति धर्मो के लिए मानो डाॅ. अम्बेडकर का उतना महत्वही नही है। ऐसा क्यो? क्या बाबासाहब ने केवल दलितो का ही उद्धार किया? क्या उन्होने केवल दलिताें के उत्थान के लिए ही संघर्श किया? अगर संक्षिप्त मे कहे तो देश का संविधान निर्माता व भारतरत्न की उपाधी पाने वाला मनुश्य किसाी एक जाती या धर्म का नही हो सकता, फिर ऐसा क्या कारण है कि दुसरे जाती या धर्म के लोग डाॅ. अम्बेडकर को नही मानते?
इसके जिम्मेदार अधिकतर वो लोग है जो बाबासाहब को मानते है। ये लोग बडे अभिमान से नारे लगते है, ‘‘बाबासाहब कौन थे? दलितो के दाता थे।’’, ‘‘बाबासाहब ने क्या किया? दलितों का उद्धार किया? इसका एक ही अर्थ होत है, वो यह कि बाबासाहब को मानने वालें ही बाबासाहब को जानते नही। कितनों को पता है, देश का संविधान लिखने वाले बाबासाहब ने ही देश के श्रम कानुनों को भि बनाया है? 14 घंटे काम करने वाले मजदूरों को 8 घंटे काम का नियम करने वाले बाबासाहब ही है। ESIC व DA । को लागू करने वाले बाबासाहब ही है। Provident Fund, Minimum Wages Act बाबासाहब की ही देन है। दामोदर व्हॅली व हिराकूंड प्रोजेक्ट की आधारषीला रखने वाले भी बाबासाहब ही है।Central Technical Power Board कि स्थापना मे भि उनका महत्वपूर्ण योगदान है। हिंदू धर्म कि कुररितियों को मिटाने के लिए बाबासाहब ने हिंदू कोड बिल बनाया। अल्पसंख्यकों व स्त्रियों को समाज मे, देश मे समानता देने के लिए कडे कानून बनाए, चाहे वो किसी भि समाज या धर्म के हो। क्या यह सब बाबासाहब ने किसी एक जाति या धर्म के लिए किया? नही… बाबासाहेब ने यह सब देश के लिए किया, देश के प्रत्येक मनुष्य के लिए किया। इससे तो यही सिद्ध होता है कि बाबासाहब एक सच्चे देशभक्त थे, फिर क्यो दलित ऐसे नारे लगाते है मानो उन्होने ही बाबासाहब को पेटंट किया हो।
बाबासाहब ने धर्मो मे व्याप्त कुरितियों का प्रखर विरोध किया। इससे उन धर्मो को माननेवालो की भावनाओं को ठेस पहूंची। इसि कारण वे लोग डाॅ. अम्बेडकर पसंद नही करते है और उनके बारे मे जानना भि नही चाहते और शायद बाबासाहब को मानने वाले उनका इतर जाति धर्मो मे प्रचार करने कि जगह उन्हे अपना देवता बनाकर खुश रहना चाहते है। ध्यान रखिए, बाबासाहब ने कहा था, “मै प्रथम भारतीय व अंत मे भी भारतीय ही हॅू.. ” परंतू यह पहले उन्हे माननेवालों को ही समझाना पडेगा.. वरना इतना बडा देशभक्त देश का नही, जाति या धर्म विशेष का ही बनकर रह जाएगा।